योजना का उद्देश्य
(mukhyamantri bal ashirwad yojana)मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के दो प्रमुख उद्देश्य हैं:
- आफ्टरकेयर (Aftercare):
- 18 वर्ष से अधिक आयु के बालकों को, जो बाल देखरेख संस्थाओं को छोड़ चुके हैं, को आर्थिक और शैक्षणिक सहयोग प्रदान करके समाज में पुनःस्थापित करना।
- स्पॉन्सरशिप (Sponsorship):
- 18 वर्ष की आयु तक के अनाथ बच्चों को, जो अपने संबंधियों अथवा संरक्षकों के साथ जीवन यापन कर रहे हैं, को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना।
योजना का नाम एवं विस्तार
इस योजना का नाम मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना है और यह संपूर्ण मध्यप्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
परिभाषाएँ
बाल देखरेख संस्था: किशोर न्याय अधिनियम के तहत संचालित बालगृह। बालक: 18 वर्ष तक की आयु के बालक एवं बालिका। केयर लीवर्स: आफ्टर केयर में जाने वाले अथवा रखे गए 18 वर्ष से अधिक आयु के युवक/युवतियाँ। निर्मुक्ति: 18 वर्ष से अधिक आयु होने पर बाल देखरेख संस्था से बालक के मुक्त होने की स्थिति। परिवार: स्पॉन्सरशिप के संदर्भ में मप्र में निवासरत परिवार। बाल कल्याण समिति: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत जिला स्तर पर गठित समिति जिसमें 01 अध्यक्ष व 04 सदस्य होते हैं। पुनर्वास सह-स्थापन अधिकारी: बाल देखरेख संस्था में निवासरत बच्चों के कौशल और क्षमता को विकसित कर आत्मनिर्भर बनाने हेतु नियुक्त अधिकारी।
योजना अंतर्गत सहायता, चयन के मापदंड एवं सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया
योजना के तहत् सहायता के दो प्रकार होंगे:
- आफ्टर केयर:
- पात्रता: बाल देखरेख संस्था में निर्मुक्ति दिनांक के वर्ष को सम्मिलित करते हुए निरंतर 05 वर्ष तक निवासरत बच्चे पात्र होंगे। अनाथ, परित्यक्त बालक की स्थिति में आवश्यक अवधि की पात्रता में छूट।
- सहायता: आर्थिक सहायता, इंटर्नशिप, व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षा हेतु 24 वर्ष की आयु तक दी जाएगी।
- स्पॉन्सरशिप:
- पात्रता: मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी परिवार के 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह रिश्तेदार अथवा संरक्षक की देखरेख में रह रहे हों तथा जो मुख्यमंत्री कोविड 19 बाल सेवा योजना के तहत पात्रता में नहीं आते हैं।
- सहायता: प्रत्येक पात्र बच्चे को 4000/- प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाएगी जो बच्चे एवं रिश्तेदार अथवा संरक्षक के संयुक्त खाते में जमा की जाएगी।
आफ्टर केयर अंतर्गत आर्थिक सहायता एवं निःशुल्क शिक्षा सहायता
इंटर्नशिप: – 5000 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाएगी। – इंटर्नशिप अवधि समाप्ति तक या एक वर्ष, जो भी पहले हो, तक देय होगी।
व्यावसायिक प्रशिक्षण: – 5000 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाएगी। – व्यावसायिक प्रशिक्षण अवधि समाप्ति तक या दो वर्ष, जो भी पहले हो, तक देय होगी।
तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा एवं विधि शिक्षा: – NEET, JEE या CLAT में प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर किसी शासकीय/अशासकीय संस्थाओं में प्रवेश करने वाले केयर लीवर्स को 5000 से 8000 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
आफ्टर केयर अंतर्गत आवेदन एवं लाभांवित किये जाने की प्रक्रिया
- प्रत्येक बाल देखरेख संस्थाओं के अधीक्षक/प्रबंधक द्वारा बाल देखरेख संस्था में निवासरत 17 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले बच्चों का चिन्हांकन और पहचान किये गये बच्चों की व्यक्तिगत देखरेख योजना (Individual Care Plan) तैयार की जायेगी।
- औद्योगिक संस्थाओं में इंटर्नशिप पर जाने वाले, व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले एवं उच्च शिक्षा में जाने वाले बच्चों की पृथक-पृथक सूची और डेटाबेस तैयार किया जायेगा।
- योजना अंतर्गत गठित समिति के द्वारा प्रकरण परीक्षण उपरांत स्वीकृत किये जायेंगे।
स्पॉन्सरशिप योजना अंतर्गत योजना के तहत् पात्र पाये गये बच्चे को सहायता
आर्थिक सहायता: – पात्र पाये गये प्रत्येक बच्चे को 4000/- प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाएगी जो बच्चे एवं रिश्तेदार अथवा संरक्षक के संयुक्त खाते में जमा की जाएगी।
चिकित्सा सहायता: – प्रत्येक बच्चे का आयुष्मान कार्ड स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाया जायेगा।
पोर्टल
योजना अंतर्गत सभी आवेदन दस्तावेजों सहित बाल आशीर्वाद पोर्टल (www.balashirwadyojna.mp.gov.in) पर प्राप्त किए जाएंगे। आवेदन की प्रक्रिया निशुल्क होगी।
योजनांतर्गत गठित समितियां
राज्य स्तरीय समिति
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति होगी जो योजना के प्रावधानों में संशोधन, आर्थिक सहायता और शिक्षा सहायता के निर्धारण के लिए सक्षम होगी।
जिला स्तर पर गठित समिति
प्रकरणों की स्वीकृति जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा की जाएगी।
बजट
योजना के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक आर्थिक राशि का प्रावधान महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में किया जाएगा।
निगरानी एवं मूल्यांकन
आफ्टर केयर में लाभांवित केयर लीवर्स का फॉलोअप जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा प्रति माह किया जायेगा। स्पॉन्सरशिप से लाभांवित बच्चों के फॉलोअप और मूल्यांकन के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
नोडल विभाग
योजना के क्रियान्वयन हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग नोडल विभाग होगा।