हिम्मत और जज्बे की मिसाल: घुटनों पर चलने वाला कृष्णा बना सबसे होनहार छात्र
परिचय – Krishna who writes with his elbows राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कृष्णा ने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। जन्म से ही बिना हाथ-पैर के होने के बावजूद उसने अपनी मेहनत और लगन से सभी को प्रेरित किया। वह अपनी कोहनियों से लिखता है और घुटनों में चप्पल पहनकर चलता है। उसकी कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और सफलता की मिसाल है।
कृष्णा की प्रारंभिक जीवन यात्रा जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि(Early Life Journey of Krishna Birth and Family Background)
कृष्णा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहाँ माता-पिता ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। शुरुआत में सभी को लगा कि वह सामान्य जीवन नहीं जी पाएगा, लेकिन कृष्णा की इच्छाशक्ति ने सबको गलत साबित कर दिया।
विवरण | जानकारी |
नाम | कृष्णा |
जन्म स्थान | बांसवाड़ा, राजस्थान |
विशेषता | जन्म से दिव्यांग |
परिवार | माता-पिता और दादा-दादी |
बचपन और शुरुआती संघर्ष(Childhood and early struggles)
बचपन में कृष्णा के लिए हर काम करना चुनौतीपूर्ण था। लेकिन उसकी जिद्द और मेहनत ने उसे पढ़ाई में सबसे आगे कर दिया। उसने घुटनों के सहारे चलना सीखा और कोहनियों से लिखने की आदत डाल ली।
कृष्णा की शिक्षा और उपलब्धियाँ स्कूल जीवन(Krishna’s Education & Achievements School Life)
कृष्णा हर दिन बिना स्कूल छोड़े पढ़ाई करता था। उसकी प्रतिभा देखकर शिक्षक और सहपाठी भी प्रेरित होते थे। उसने पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लिया।
स्कूल में कृष्णा की दिनचर्या(Krishna’s daily routine at school)
समय | गतिविधि |
सुबह 6 बजे | उठना और तैयारी करना |
सुबह 8 बजे | स्कूल जाना |
सुबह 9-12 बजे | कक्षाओं में भाग लेना |
दोपहर 1 बजे | लंच ब्रेक |
दोपहर 2-4 बजे | पढ़ाई और अन्य गतिविधियाँ |
शाम 6 बजे | घर लौटकर होमवर्क करना |
शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन(Excellence in education)
- कृष्णा अपने क्लास में सबसे होशियार छात्रों में से एक है।
- उसे मैथ्स और साइंस में विशेष रुचि है।
- टीचर्स भी उसकी लगन और मेहनत की तारीफ करते हैं।
कृष्णा की प्रेरणादायक कहानी(inspirational story of krishna)
आत्मविश्वास और हौसला
जैसे-जैसे कृष्णा बड़ा हुआ, उसका आत्मविश्वास और भी बढ़ता गया।
- उसने अपनी कठिनाइयों को अपनी ताकत बना लिया।
- समाज में दिव्यांग होने की सोच को बदल दिया।
- वह अन्य बच्चों के लिए भी प्रेरणा बन गया।
खेल और अन्य गतिविधियाँ(Sports and other activities)
कृष्णा न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि खेलों में भी आगे है। वह अपने घुटनों पर बैलेंस बनाकर क्रिकेट खेलता है।
परिवार का समर्थन
कृष्णा के माता-पिता और दादा-दादी ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया। उसके पिता प्रभुलाल मंड़िया कहते हैं कि कृष्णा की मुस्कान इतनी प्यारी है कि उससे सारी चिंताएँ दूर हो जाती हैं।
निष्कर्ष- कृष्णा की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम मेहनत और आत्मविश्वास से आगे बढ़ें तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। यह कहानी न केवल दिव्यांग बच्चों के लिए बल्कि हर किसी के लिए प्रेरणा स्रोत है।
कृष्णा की कहानी से जुड़े 10 महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
1. कृष्णा कहाँ का रहने वाला है?
उत्तर: कृष्णा राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का रहने वाला है।
2. कृष्णा की सबसे खास बात क्या है?
उत्तर: वह घुटनों में चप्पल पहनकर चलता है और कोहनियों से लिखता है।
3. कृष्णा का पसंदीदा विषय कौन-सा है?
उत्तर: उसे गणित और विज्ञान में विशेष रुचि है।
4. कृष्णा ने पढ़ाई में कैसे सफलता प्राप्त की?
उत्तर: उसने अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर पढ़ाई में सफलता पाई।
5. कृष्णा खेलों में भी भाग लेता है क्या?
उत्तर: हाँ, वह अपने घुटनों के बल क्रिकेट खेलता है।
6. उसके माता-पिता का क्या कहना है?
उत्तर: उसके माता-पिता कहते हैं कि उसकी मुस्कान बहुत प्यारी है और वह उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा है।
7. कृष्णा अपने स्कूल में कैसे सबसे होशियार बना?
उत्तर: वह हर दिन मेहनत करता है, कभी स्कूल मिस नहीं करता और ध्यान से पढ़ाई करता है।
8. कृष्णा के संघर्ष से हमें क्या सीखने को मिलता है?
उत्तर: हमें सिखाता है कि कोई भी कमजोरी हमारी सफलता को नहीं रोक सकती।
9. कृष्णा को स्कूल में कौन-कौन सपोर्ट करता है?
उत्तर: उसके शिक्षक, सहपाठी और परिवार के लोग।
10. कृष्णा की कहानी हमें क्यों प्रेरित करती है?
उत्तर: क्योंकि उसने अपने संघर्षों को अवसर में बदला और अपनी कमजोरी को ताकत बना लिया।